जीडीपी क्या है और इसे बढ़ाने मे आप कैसे मदद कर सकते है

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आपने कई बार न्यूज चैनल या अखबार मे पढ़ा होगा की भारत की जीडीपी रेट इतने प्रतिशत से बढ़ गई है या फिर जीडीपी रेट इतने प्रतिशत से घट गई है। खास कर साल 2020 मे भारत की जीडीपी में काफी गिरावट आई थी तो जीडीपी के चर्चे हर जगह हो रहे थे और हमारे पाठकों ने भी जीडीपी के बारे विस्तार से जानना चाहा। 

तो आज हम आपको जीडीपी क्या होती है इसकी परिभाषा क्या है ? इसकी शुरुआत कब हुई थी ? आप कैसे जीडीपी बढ़ाने मे अपना योगदान दे सकते है या फिर जीडीपी के घटने या बढ़ने पर आम लोगों की ज़िंदगी मे क्या असर होता है इसके बारे मे सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है।

जीडीपी क्या है

जीडीपी क्या है

किसी भी देश मे उसकी सीमा के भीतर एक निर्धारित समय के दौरान उत्पादित किए गए वस्तु एवं सेवाओ के कुल मूल्य को जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद कहते है, अगर किसी दूसरे देश की कंपनी ने भारत मे वस्तु का उत्पादन किया तो वह भी भारत के जीडीपी मे शामिल होगी। 

जीडीपी अगर बढ़ता है तो इसका यह मतलब है की उस देश मे वस्तु और सेवाओ का उत्पादन और बिक्री ज्यादा हो रही है इसका मतलब यह है की वह देश तरक्की की ओर जा रहा है, लेकिन अगर जीडीपी घटती है तो इसका मतलब वस्तु ओर सेवाओ की उत्पादन और बिक्री मे गिरावट आ रही है और वो देश तरक्की की ओर नहीं जा रहा है। 

इस तरह सिर्फ जीडीपी के बारे जानकार ही हम किसी देश की स्थिति का अंदाज़ा लगा सकते है। 

जीडीपी (GDP) का फुल फॉर्म क्या है

ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (Gross domestic product) 

हिन्दी मे जीडीपी को सकल घरेलू उत्पाद कहते है। 

जीडीपी के प्रकार 

जीडीपी दो प्रकार की होती है। 

1. नॉमिनल जीडीपी – यह जीडीपी निकालने के लिए हम हमारे देश मे उत्पादित कुल वस्तुओ और सेवाओ के मूल्य का योग होता है जिसे हम नॉमिनल जीडीपी कहते है। 

2. रियल जीडीपी – इस जीडीपी को भी देश मे उत्पादित वस्तुओ और सेवाओ के कुल मूल्य को जोड़ कर निकाला जाता है परंतु इसमे किसी एक वर्ष को आधार मान कर जीडीपी निकाल जाता है इस गणना मे महंगाई को ध्यान मे रखा जाता है और यह देखा जाता है की असल मे जीडीपी बढ़ी है या फिर सिर्फ वस्तुओ और सेवाओ के मूल्य मे वृद्धि हुई है। 

भारत मे साल 2015 के बाद से 2011-12 को आधार वर्ष मान कर रियल जीडीपी निकाला जाता है। 

जीडीपी ग्रोथ रेट क्या है 

जीडीपी ग्रोथ रेट जीडीपी से ही निकाला जाता है जीडीपी ग्रोथ रेट यह दर्शाता है की जीडीपी मे कितने प्रतिशत की दर से बढ़त हुई है या कमी आई है। इसी दर को जीडीपी ग्रोथ रेट कहा जाता है। 

जीडीपी ग्रोथ रेट नेगटिव मे भी जा सकता है जैसे वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट साल 2020 मे यह -8 प्रतिशत तक चली गई थी। हालांकि 2021-2022 मे जीडीपी ग्रोथ रेट 8 से 9 प्रतिशत रहने की संभावना जताई जा रही है।

जीडीपी की शुरुआत कब हुई थी

जीडीपी की आधुनिक अवधारणा साल 1934 मे साइमन कुज़्नेतस (Simon Kuznets) द्वारा US Congress report के लिए विकसित कि गई थी। 1944 में हुए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के बाद, जीडीपी देश की अर्थव्यवस्था को मापने का मुख्य तरीका बन गया।

जीडीपी की गणना कब होती है

जीडीपी की गणना साल मे एक बार होती है लेकिन भारत मे इसकी गणना तिमाही भी होती है यानि की हर 3 महीने मे एक बार जीडीपी की गणना की जाती है। 

जीडीपी की गणना कौन करता है

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office) जीडीपी की गणना करता है जो सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Program Implementation) के तहत काम करता है, यह पूरे देश के आकड़ों को जमा कर उनका विश्लेषण करता है और सालाना और तिमाही आँकड़े जारी करता है। 

जीडीपी कैसे निकाला जाता है

यह काफी पेचीदा प्रक्रिया है इसमे काफी सारी चीजों को ध्यान मे रखा जाता है इसे एक आसान भाषा मे हम आपको समझाने की कोशिश करते है। 

मान लिया की किसी देश मे 100 रुपये की 1000 चीजे बनती है तो उस देश की जीडीपी 10×1000 = 10,000 उस देश की जीडीपी होगी। 

ये तो बस एक उदाहरण हुआ अगर आधिकारिक तरीके से भारत की जीडीपी निकाले जाने की बात की जाए तो यह कुछ इस तरीके से निकाला जाता है –

GDP = Private consumption+ gross investment + government investment + government spending + (exports – imports)

  • Private consumption (निजी उपभोग)
  • Gross investment (कुल निवेश)
  • Government investment (सरकारी निवेश)
  • Government spending (सरकारी खर्च)
  • Exports (निर्यात)
  • Imports (आयात)

जीडीपी क्यूँ निकाला जाता है

जीडीपी से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के बारे मे जानकारी हासिल की जा सकती है इसलिए अधिकांशतः देश मे जीडीपी से ही उसकी आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जाता है। 

जीडीपी से ही हम जान पाते है की कोई देश कितना विकसित है और वहाँ के वस्तुओ और सेवाओ क्व उत्पादन का अंदाजा लगा सकते है। 

भारत की जीडीपी क्या है

भारत की जीडीपी हर तिमाही और वार्षिक निकाली जाती है इसलिए यह घटती बढ़ती रह सकती है साल 2020 मे भारत की जीडीपी 2.62 lakh crores USD थी।  

इंडिया जीडीपी के मामले मे कितने नंबर पर है

Wikipedia के अनुसार भारत नोमीनल जीडीपी के अनुसार छठे नंबर पर है और GDP PPP (purchasing power parity) के लिस्ट मे देखा जाए तो भारत तीसरे नंबर पर है। यह रैंकिंग देश के जीडीपी बढ़ने घटने के साथ बदल सकती है। 

आप भारत की जीडीपी बढ़ाने मे कैसे सहयोग कर सकते है

अगर आप चाहते की भारत की जीडीपी बढ़ती रहे तो आपको भारत मे निर्मित वस्तुओ की ही खरीदारी करनी चाहिये इस से जीडीपी बढ़ाने मे सहयोग तो मिलेगा ही साथ ही साथ अगर लोग भारत मे निर्मित वस्तुओ की खरीददारी करते है तो यहाँ के उद्योग और रोजगार बढ़ाने मे भी मदद मिलेगी। 

जीडीपी की आलोचना 

कुछ लोगों का कहना है की जीडीपी एक सही पैमाना नहीं है किसी देश की अर्थवस्था का अनुमान लगाने का उनका ये मानना है की जीडीपी की गणना मे हर चीज को शामिल नहीं किया जाता है जीडीपी के विरोध मे वे निम्न तर्क रखते है। 

  1. जीडीपी सिर्फ देश की सीमा के अंदर तक ही सीमित होता है हमारे देश के नागरिक अगर दूसरे देश मे काम करते है तो उनके आय की गणना जीडीपी मे नहीं की जाती है। 
  2. जीडीपी सिर्फ आधिकारिक डाटा पर जीडीपी की गणना करता है इस वजह से असंगठित क्षेत्रों की गणना जीडीपी मे नहीं हो पाती है जो किसी – किसी देशों के जीडीपी मे बहुत फर्क डाल सकती है। 
  3. सिर्फ जीडीपी की बढ़ोत्तरी को देखकर ही हम किसी देश या वहाँ के लोगों के विकास का अंदाज़ा नहीं लगा सकते है जैसे की हमारे देश भारत की ही जीडीपी वर्ल्ड मे टॉप 10 की लिस्ट मे आती है इसका मतलब यह नहीं है की यहाँ के लोग अमीर है। भारत जीडीपी के मामले मे इसलिए टॉप 10 लिस्ट मे आता है क्युकी इसकी जनसंख्या ज्यादा है यहाँ ज्यादा मात्रा मे लोग वस्तुओ और सेवाओ की खरीददारी करते है इसलिए यहाँ उत्पादन भी काफी ज्यादा होता है। 

अगर आपको भारत के असल विकास के बारे जानना है तो आपको प्रति व्यक्ति जीडीपी (GDP per Capita) के बारे भी जानना चाहिए। 

जीडीपी का आम लोगों के लिए खास क्यूँ है 

कुछ लोग यह मानते है की जीडीपी घटे या बढ़े उन्हे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन ऐसा मानना बिल्कुल गलत है, जीडीपी का घटना यह बताता है की देश विकास के सही रास्ते मे नहीं जा रहा है अर्थात कुछ ना कुछ ऐसी चीजे चल रही है जिस से देश का ग्रोथ धीमा हो गया है। 

जीडीपी घटने से का अर्थ यह भी हो सकता है की देश मंदी छाई हुई है जिस वजह से लोग वस्तु ओर सेवाओ की कम खरीदारी कर रहे है, इस वजह से वस्तुओ और सेवाओ के उत्पादन पर भी फर्क पड़ता है और साथ ही साथ देश मे बेरोजगारी भी बढ़ेगी।

जीडीपी अगर नकारात्मक होती है तो शेयर बाजार मे भी काफी हलचल रहती है निवेशक निवेश करने से कतराने लगते है और वही अगर जीडीपी सकारात्मक हो तो निवेशको मे देश के भविष्य को लेकर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिस से वे निवेश जारी रखते है। 

कुल मिला कर कहा जाए तो अगर जीडीपी बढ़ रही है तो इसका मतलब है की देश की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है और देश प्रगति की राह पर है। 

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About Suraj Kumar

सूरज कुमार Financehindi के मुख्य एडिटर है इन्होंने M.com आनर्स किया है और ये Financehindi.com के शुरुआती लेखको मे से एक है।

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