आजकल वैश्विक अर्थव्यवस्था उथल पुथल हो रही है एक तरह जहां रुस – यूक्रेन की जंग चल रही है वही दूसरी ओर वैश्विक मंदी की आहट सुनाई दे रही है। स्टॉक मार्केट भी काफी उतार चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है।
इन सबके बीच हर प्रकार के लोन के इन्टरेस्ट रेट बढ़ते ही जा रहे है फिर चाहे वो पर्सनल लोन हो या फिर होम लोन या कोई दूसरे प्रकार का लोन। ये ही नहीं आगे आने वाले टाइम मे भी लोन के इन्टरेस्ट रेट बढ़ने के आसार जताए जा रहे है।

आखिर क्यू बढ़ रहे है लोन के इन्टरेस्ट रेट?
हमारे देश मे बैंक खुद से इन्टरेस्ट रेट नहीं बढ़ाते है वो तो चाहते है की आप ज्यादा से ज्यादा लोन ले और बैंक की ज्यादा कमाई हो। दरअसल लोन के इन्टरेस्ट रेट कब बढ़ाने है ओर कब घटाने है इस बात का फैसला RBI करती है यानि की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया।
RBI इन्टरेस्ट रेट क्यूँ बढ़ाती है इसके कई सारे कारण है जिसमे से एक कारण यह है की देश मे जब भी महंगाई बढ़ने लगने लगती है तो आरबीआई को लोन के इन्टरेस्ट रेट बढ़ाने पड़ते है क्यूंकी अगर लोन सस्ते ब्याज दर पर मिलेंगे तो लोग खर्चे ज्यादा करने लगेंगे और उनकी खरीददारी भी बढ़ जाएगी और बाजार मे मांग की वृद्धि होगी।
और यह तो हम सभी जानते है की जब जब मांग बढ़ती है तब तब महंगाई भी बढ़ती है। क्यूंकी लोगों के पास जब पैसे होते है तब वो समान को थोड़े महंगे दाम मे भी खरीदने से पीछे नहीं हटते और इस वजह से महंगाई बढ़ती ही रहती है। इस वजह से आरबीआई समय समय पर महंगाई देखते हुए ब्याज दर को कम ज्यादा करती रहती है।
बढ़ती ब्याज दर आम लोगों पर कैसे प्रभाव डालती है?
अगर आप लोन लेने की सोच रहे है तो बढ़ती ब्याज आपके लिए खराब ही होगी। आप बढ़े हुए ब्याज दर पर लोन लेना नहीं पसंद करेंगे। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है यानि की जो लोग लोन नहीं ले रहे है उनके लिए ब्याज दर का बढ़ना फायदेमंद होता है क्यूंकी ब्याज दर के बढ़ने पर धीरे धीरे महंगाई पर काबू पाने की कोशिश की जाती है और थोड़े समय बाद इसका फल भी दिखने लगता है।
इसके साथ ही बैंक के फिक्स डिपॉजिट के इन्टरेस्ट रेट भी बढ़ जाते है जिस से आम लोगों को काफी फायदा होता है क्यूंकी एक आम नागरिक के लिए आज भी फिक्स डिपॉजिट एक सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश है।
बढ़ती ब्याज दर शेयर बाजार पर क्या प्रभाव डालती है?
शेयर बाजार अभी भारी उथल पुथल से गुजर रहा है इस वजह से निवेशक अपने निवेश के लिए अलग अलग तरीके अपनाते रहते है और अगर ब्याज दर बढ़ जाती है तो निवेशक बैंक FD मे भी निवेश करने लगते है क्यूंकी उन्हे बैंक के फिक्स डिपॉजिट मे एक फिक्स आय मिलती रहती है और उन्हे शेयर बाजार मे अपने निवेश के डूबने का डर नहीं होता है।